माता वैष्णो व्रत कथा, ॐ सर्वतीर्थ समूदभूतं पाद्यं गन्धादि-भिर्युतम्

जय माता दी दोस्तों नमस्कार दोस्तों मानपुर में चैनल में आप सभी का स्वागत है आज हम आपके लिए माता वैष्णो की पवित्र कथा

लेकर आए हैं जो व्यक्ति इस कथा को सुनता है और कार्य भरता है या फिर सुनता है उसके सभी मनोकामना पूर्ण होती है और माता

वैष्णो देवी की कृपा उसे पर हमेशा बनी रहती है तो चलिए अब कथा आरंभ करते हैं एक बार त्रेता युग में जब पृथ्वी लोक पर राक्षसों

का आतंक हद से बाहर हो गया और चारों तरफ जाकर मछली लगा तब देवताओं ने त्रिदेव को जाकर सारी बेटा सुने देवों को जल्दी देख कर माता सरस्वती माता लक्ष्मी और मां जगदंबे ने मिलकर योजना बनाई और अपनी शक्तियों से एक बालिका का निर्माण किया

और उसे पृथ्वी लोक पर भेज दिया इस बालिका ने पृथ्वी लोक पर जाकर कृषि के यहां जन्म ने अपनी पुत्री का नाम तारे कोटा रखा मोक्ष की ओर जाने की और होने लगी परंतु जैसे जैसे वह बड़े होने लगी तो उसे समझ में आया कि मोक्ष को प्राप्त करने के लिए

तपस्या समाधि एकमात्र मार्ग है तो वह पूजा अनुष्ठान करने लगी ऐसी काफी समय नींद नहीं लगा उसके पिता भी उसे कभी नहीं रोक करते थे क्योंकि वह जानते थे यह बालिका कोई साधारण बालिका नहीं है क्योंकि उसके पैदा होने से भगवान विष्णु ने उनके सपने में

आकर कहा था कि तेरी पुत्री आगे चलकर विश्व कल्याण का कारण बनेगी और उनके भक्तों की संख्या ऐसे ही समय भेजना लगता है लेकिन घर गृहस्ती में त्रिकुटा की तपस्या में व्याकरण आते रहते हैं तो वह अपने पिताजी से कहते हैं कि पिताजी में एकांत में जाकर

तपस्या करना चाहती हूं तो उनके पिता और कहते हैं पुत्री तुम जाओ उत्तर भारत की पहाड़ियों में जाकर तपस्या करने लगते हैं

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