नमस्कार मैं प्रीति मेहता आज मैं भगवान
शिव और पार्वती माता से जुड़ी एक कथा का
श्रवण करने जा रही हूं यह धार्मिक और
ज्ञानवर्धक कहानी है इसे सुने से अपने
अज्ञान के द्वार खुल जाता है भगवान शिव ने
पार्वती जी को बताए अनोखी बात और उसका
अनुसरण अच्छे रूप और लोक कल्याण में करें
जब पार्वती मां ने बनाया भोजन तो भगवान
शिव जी ने माता पार्वती जी को बताई अनोखी
बात एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से
बोले कि प्रभु मैंने पृथ्वी पर देखा है कि
जो व्यक्ति पहले से ही अपने प्रारब्ध से
दोहक है आप उसे और ज्यादा दोहक प्रदान
करते हैं और जो सुख में है आप उसे दोहक
नहीं देते हैं भगवान ने इस बात को समझाने
के लिए माता पार्वती को धरती पर चलने के
लिए कहा और दोनों ने इंसानी रूप में पति
पत्नी का रूप लिया और एक गावं के पास रा
जमाया शाम के समय भगवान ने माता पार्वती
से कहा कि हम मनुष्य रूप में यहां आए हैं
इसलिए यहां के नियमों का पालन करते हुए
हमें यहां भोजन करना होगा इसलिए मैं भोजन
की सामग्री की व्यवस्था करता हूं तब तक
तुम भोजन बनाने की व्यवस्था बनाओ भगवान के
जाते ही माता पार्वती रसोई में चूल्हे को
बनाने के लिए बाहर से ईंट लेने गई और गांव
में कुछ जरजर हो के मकानों से ईंट लाकर
चूल्हा तैयार कर दिया चूल्हा तैयार होते
ही भगवान वहां पर बिना कुछ लाए ही प्रकट
हो गए माता पार्वती ने उनसे कहा आप तो कुछ
लेकर नहीं आए भोजन कैसे
बनेगा भगवान बोले पार्वती अब तुम्हें इसकी
जरूरत नहीं पड़ेगी भगवान ने माता पार्वती
से पूछा कि तुम चूल्हा बनाने के लिए इन
ईटों को कहां से लेकर आई तो माता पार्वती
ने कहा प्रभु इस गांव में बहुत से ऐसे घर
भी हैं जिनका रख रखाव सही ढंग से नहीं हो
रहा है उनकी जरजर हो चुकी दीवारों से मैं
ईंट निकाल कर ले आई भगवान ने फिर कहा जो
घर पहले से खराब थे तुमने उन्हें और खराब
कर दिया तुम टे उन सही घरों की दीवार से
भी तो ला सकती थी माता पार्वती बोली प्रभु
उन घरों में रहने वाले लोगों ने उनका रख
रखाव बहुत सही तरीके से किया है और वह घर
सुंदर भी लग रहे हैं ऐसे में उनकी सुंदरता
को बिगाड़ना उचित नहीं होता भगवान बोले
पार्वती यही तुम्हारे द्वारा पूछे गए
प्रश्न का उत्तर है जिन लोगों ने अपने घर
का रख रखाव अच्छी तरह से किया है यानी सही
कर्मों से अपने जीवन को सुंदर बना रखा है
उन लोगों को दोह कैसे हो सकता है
मनुष्य के जीवन में जो भी सुखी है वह अपने
कर्मों के द्वारा सुखी है और जो दुखी है
वह अपने कर्मों के द्वारा दुखी है इसलिए
हर एक मनुष्य को अपने जीवन में ऐसे ही
कर्म करने चाहिए कि जिससे इतनी मजबूत व
खूबसूरत इमारत खड़ी हो कि कभी भी कोई भी
उसकी एक ईंट भी निकालने ना पाए प्रिय
बंधुओं व मित्रों यह काम जरा भी मुश्किल
नहीं है केवल सकारात्मक सोच और निय
स्वार्थ भावना की आवश्यकता है इसलिए जीवन
में हमेशा सही रास्ते का ही चयन करें और
उसी पर
चले