पर्यवेक्षकों के चंडीगढ़ पहुंचने का मतलब
ही यह है कि अब कहीं किसी तरीके की सहमति
बन पाएगी जेजेपी और बीजेपी में इसकी
गुंजाइश मतलब खत्म हो गई है
अंकित बिल्कुल देखिए ये जो देर रात में ही
तय हो गया था जब पर्यवेक्षकों को भेजे
जाने का फैसला किया गया और वहां विधायक दल
की बैठक बुलाई गई उसी दौरान ये तय हो गया
था कि अब जेजेपी के साथ में गठबंधन आगे
नहीं बढ़ेगा और उसी का हम दो तरफा इसको
देख सकते हैं पहला बीजेपी ने चंडीगढ़ में
बैठक बलाई तो दूसरा दुष्यंत चौटाला ने
अपने विधायको की बैठक बुलाई है यहां
दिल्ली में ही एक फार्म हाउस में और जैसी
जानकारी मिल रही है सूत्रों से जिस बात का
जिक्र रोहित भी कर रहे थे कि जेजेपी के
चार विधायक लगभग तय माने जा रहे हैं कि
उनका साथ छोड़ सकते हैं और जैसे-जैसे वक्त
आगे बढ़ेगा मुमकिन है कि और भी विधायक
उनका साथ छोड़ दे तो निश्चित तौर पर
दुष्यंत चौटाला के लिए एक बहुत बड़ा झटका
है क्योंकि पहला वो जो सरकार में थे उससे
बाहर हो गए जो उप मुख्यमंत्री थे अब वो
नहीं है और उसके साथ ही में उनकी पार्टी
में एक बड़ी टूट हो सकती है और लोकसभा
चुनावों से पहले निश्चित तौर पर दुषें
चौटाला को शायद इस बात का एहसास नहीं रहा
होगा कि इस तरीके से वो अलग थलक पड़
जाएंगे
लेकिन कह रहे मुझे लगता है इसी को समझने
के लिए जरा रोहित सावल के पास लेकर चलते
हैं दर्शकों को मतलब रोहित जो केंद्रीय
नेतृत्व की तरफ से कहा जा रहा था कि एक
सीट को लेकर फिर भी शायद सहमति बन पाती
लेकिन जिस बात का जिक्र अंकित गुप्ता कर
रहे हैं कि दुश चौटाला उनका वो अड़ियल रुक
की नहीं दो लोकसभा सीट ही चाहिए इसी के
चलते क्या सरकार से भी हरियाणा की सत्ता
से भी हाथ धोना पड़ा है दुष्यंत चौटाला को
और अब तो पार्टी रहेगी या नहीं रहेगी इसके
भी लाले पड़ गए हां देखिए रोमाना बिल्कुल
सही कह रहे हैं लेकिन रोमाना मैं बड़े
दावे के साथ आपको बख्ता तौर पर आपको एक
बात बताऊं दुष्यंत चौटाला और उनकी पार्टी
एक सीट हरियाणा में चाह रही थी कि एक सीट
भारतीय जनता पार्टी दे दे और हरियाणा का
जो स्टेट लीडरशिप है उन्होंने केंद्र को
रिपोर्ट सौंपी कि हम एक भी सीट जेजेपी को
नहीं देनी चाहिए केंद्रीय नेतृत्व का भी
यही रुख था तो कुल मिलाकर क्योंकि बीजेपी
का कहना था कि साहब की सीटें हम
जीते हैं हम उनको किस किस लिहाज से एक
जीती हुई सीट अपनी दे दें और क्यों दे दें
हमारे पास मैजिकल फिगर है बहुमत का आंकड़ा
हमारे पास है एक बात और दूसरी बात मैं
आपको रोमाना यहां पर एक और बता दूं बड़ी
महत्त्वपूर्ण बात रोमाना आपको बता रहा हूं
बात यह कि जेपी नड्डा से दुष्यंत चौटाला
की मुलाकात हुई और मैं आपको बता दूं कि जो
पूरा घटनाक्रम है इसकी स्क्रिप्ट पिछले कल
ही लिखी जा चुकी थी स्क्रिप्ट तो कुछ दिन
पहले लिखी जा चुकी थी लेकिन पिछले कल मुहर
इसपे लगी दुष्यंत चौटाला का बाहर आना अब
इसे हम टूट कहे कुछ कहे लेकिन दुष्यंत
चौटाला अगर इस सरकार में रहते तो मैं
हरियाणा को लंबे अर्से तक कवर किया मैंने
रोमाना तो स्थिति यह थी कि जेजेपी को भी
नुकसान हो रहा था बड़ा नुकसान हो रहा था
किसान आंदोलन के पास तो दुष्यंत चौटाला के
लिए ठीक है क्योंकि सरकार के लिए कोई बहुत
लंबा अरसा नहीं बच गया है लोकसभा चुनाव के
बाद विधानसभा चुनाव होना है तो दुष्यंत
चौटाला को किसानों की नाराजगी जाटों की
नाराजगी झेलनी पड़ रही थी जितना अरसा इस
सरकार के साथ रहते तो ये ये जिसे कहा जाए
कि एक मिलीजुली स्क्रिप्ट लिखी गई है ये
ऐसा नहीं है कि दुष्यंत चौटाला के नीचे से
चादर खींच दी गई या उनको अचानक एक एकाएक
उनको सरकार से बाहर कर दिया गया लेकिन
लेकिन अब जिस तरीके से बाहर का दरवाजा
दुष्यंत चौटाला को दिखाया जा रहा है या
दुश चौटाला ने खुद अपने लिए चुना है मतलब
इसको लेकर बहस हो सकती है लेकिन इतना जरूर
तय है कि वो किसान आंदोलन जिस समय गर्म था
आप ही के पास आ रही हूं आप ही से जवाब
लूंगी और उस वक्त दुष्यंत चौटाला का सरकार
में बना रहना खट्टर सरकार में शामिल रहना
जब अभी हाल में पंजाब के किसान जो है वो
हरियाणा के रास्ते दिल्ली आना चाह रहे थे
उस दौरान भी जो किसानों की तरफ से हरियाणा
सरकार पर आरोप लगाए गए कि साहब हम पर
ज्यादती हो रही है पंजाब की सीमा में घुस
घुस कर ये ड्रोन के जरिए हम पर अत्याचार
करवा रही है खट्टर सरकार हरियाणा सरकार तब
चुट्टी चुप्पी जो है दुष्यंत चौटाला की तो
कुल मिलाकर इस वक्त तो संदेश यही जाएगा
कमोबेश कि उंगली कटाक शहीदों में नाम
लिखवाने चले हैं दुष्यंत चौटाला रोहित
बिल्कुल सही आप रोमाना कह रहे हैं और मैं
वही कह रहा हूं कि ये कोई बहस का ही विषय
नहीं है मैं आपको खबर बता रहा हूं कि खबर
यही है कि ये मिलजुलकर स्क्रिप्ट लिखी गई
भारतीय जनता पार्टी और जेजेपी ने बैठकर ने
तय किया कि साहब इस तरह से सरकार से अलग
हम हो रहे हैं और ठीक है किसानों के बीच
में जाएंगे ये संदेश देंगे कि देखिए हम इस
सरकार में हम नहीं रह सकते थे अभी थोड़ी
देर में स्टेटमेंट आने वाली है आधे घंटे
के करीब-करीब स्टेटमेंट आने वाली है
जेजेपी की तरफ से दुष्यंत चौटाला की
स्टेटमेंट आएगी रोमाना और बिल्कुल सही
आपने कहा क्योंकि किसान आंदोलन और जाटों
की भी नाराजगी भारतीय जनता पार्टी और
जेजेपी की सरकार झेल रही थी खुले तौर पर
झेल रही थी तो जेजेपी को ये लगता था कि एक
बड़ा वर्ग जाट वोटर्स का एक बड़ा वर्ग
विधानसभा चुनाव में किया है आप देखिए ये
जो चार विधायकों के जो हम नाम गिना रहे
हैं तीन विधायकों के हम नाम गिना रहे हैं
खास तौर पर ये तीनों सीटें एक राम कुमार
गौतम कैप्टन अभिमन्यु को उन्होंने उराया
दूसरे देवेंद्र सिंह बबली बीजेपी के
प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला को उन्होंने
हराया था ये दोनों दोनों ही जाट विधायक थे
भारतीय जनता पार्टी के लेकिन जेजेपी के
जाट जो कैंडिडेट थे उनको हरियाणा की जनता
ने जिताया था उस वक्त बीजेपी के जाट
कैंडिडेट्स को नहीं जिताया था तो दुष्यंत
चौटाला को यह भी लग रहा था कि उनको भारी
नुकसान भारतीय जनता पार्टी से ज्यादा
नुकसान उनको होगा अगर वो इस सरकार में और
लंबा अरसा रहे चा साल सरकार में रहे अपने
कार्यकर्ताओं के लिए काम किया उन्होने कर
लिया जो करना था लेकिन लेकिन आपने जिन
विधायकों के नाम गिनाए यह वही विधायक
जिन्हे जेजेपी के कोटे से जाटों ने जोरदार
समर्थन दिया बीजेपी के जो जाट चेहरे थे