CAA लागू होने के बाद किन राज्यों सरकारों ने किया इससे किनारा, क्या कहता है कानून

नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीए को मोदी

सरकार ने मार्च को लागू कर दिया लोकसभा

चुनाव से पहले मोदी सरकार ने सीएए के

नियमों को नोटिफाई करने की जानकारी दी है

जिसके बाद लोगों के बीच कई तरह के सवाल और

संशय हैं इसी बीच कुछ राज्य ऐसे हैं

जिन्होंने इसे लागू करने से इंकार कर दिया

है लेकिन क्या राज्यों के पास ऐसा करने का

अधिकार है इसे लेकर नियम क्या कहते हैं और

किस राज्य की सरकार ने अपने यहां सीएओ को

लागू करने से इनकार किया है सब कुछ आपको

इस वीडियो में विस्तार से बता बे रूल्स

नोटिफिकेशन में अगर हम देखेंगे कि य

डिप्राइव कर रहा है लोगों का अधिकार को तो

हम उसको खिलाफ में

लड़ेंगे हम पहले हमको देखने दीजिए आईम

वाचिंग हम जब रूल्स निकालेंगे हम उसको

स्टडी करके जो बताना है कल बताएंगे लेकिन

मैं आज बोल दिया कि एक बीजेपी का इलेक्शन

पब्लिसिटी है नथिंग पश्चिम बंगाल की सीएम

ममता बनर्जी के साथ विपक्षी दलों वाली कुछ

और राज्य सरकारों ने भी अपने राज्य में सी

स एए लागू करने से इंकार कर दिया है इसमें

केरल के मुख्यमंत्री पनाराय विजयन भी

शामिल हैं केरल के सीएम ने सीएए को

सांप्रदायिक आधार पर विभाजन पैदा करने

वाला कानून बताते हुए कहा कि राज्य सरकार

पहले ही घोषणा कर चुकी है इसे केरला में

लागू नहीं किया जाएगा किसी भी कारण से यह

कानून केरला में लागू नहीं होगा

सांप्रदायिक रूप से विभाजन कारी इस कानून

के खिलाफ पूरा केरला एकजुट होगा बंगाल और

केरला की तरह तमिलनाडु की सरकार भी सीएओ

को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल

चुकी है तमिलनाडु के सीएम एम के स्टालिन

ने सोशल मीडिया अकाउंट एकस पर लिखा

नागरिकता अधिनियम को हथियार बनाकर केंद्र

की बीजेपी सरकार विभाजन कारी एजेंडे चला

रही है मुसलमानों और श्रीलंकाई तमिलों को

धोखा देकर उन्होंने विभाजन के बीच पोए

जनता उन्हें करारा सबक सिखाएगी तो इन

राज्यों ने सीएए को लेकर भले ही अपना

स्टैंड क्लियर कर दिया हो लेकिन सवाल यह

है क्या राज्य सरकारों के पास ऐसा करने का

कोई अधिकार है इसका सीधा और सरल सा जवाब

नहीं राज्य सरकार सीएए को अपने राज्य में

लागू करने से नहीं रोक सकती है क्योंकि

नागरिकता का मामला केंद्र सरकार के अधीन

आता है राज्य सिटीजनशिप नहीं दे सकते ऐसे

में नागरिकता के मामले में आखिरी फैसला

भारत सरकार का ही होगा संवैधानिक रूप से

किसी राज्य सरकार के लिए कहना मुश्किल

होगा कि हम संसद द्वारा पारित कानून का

पालन नहीं करेंगे यानी कुल मिलाकर राज्य

सरकार भले ही कितनी भी दलीलें दे लेकिन वो

केंद्र द्वारा पारित कानून को अपने हा

लागू करने से नहीं रोक सकती है आपको बता

दें कि मोदी सरकार ने दिसंबर में

सीएए संसद में पारित कराया था सीएए के तहत

अफगान पाकिस्तान बांग्लादेश और पाकिस्तान

से आए हिंदू सिख जैन ईसाई बौद्ध और पारसी

धर्म के लोगों को नागरिकता मिल जाएगी इन

तीनों देशों में यह समुदाय अल्पसंख्यक हैं

हालांकि यह फायदा केवल उन्हीं प्रवासियों

या शरणार्थियों को मिलेगा जो दिसंबर

तक भारत आ चुके हैं साल में

सीएए पारित होने के बाद पूरे देश में इसके

खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए थे उस दौरान

सीए को लेकर यह भी दावा किया जा रहा था कि

इसके बाद एनआरसी आएगा और फिर मुस्लिम समाज

के लोगों की नागरिकता छीन ली जाएगी जिस पर

मोदी सरकार ने सद में साफ कर दिया कि ऐसा

कुछ नहीं होगा हालांकि बाद में कोविड आने

की वजह से प्रदर्शन और सीएए का मामला शांत

हो गया इसके बाद लोकसभा चुनाव से ठीक पहले

एक बार फिर चर्चा तेज हुई और अब लोकसभा

चुनाव में ज्यादा वक्त नहीं रह गया है और

सी की अधि सूचना जारी कर दी गई है सीए में

किसी भी भारतीय की नागरिकता छीनने का कोई

प्रावधान नहीं है भले ही विपक्ष सीए और

उसके कुछ प्रावधानों को लेकर केंद्र सरकार

को घेर रहा हो लेकिन मोटे तौर पर कोई भी

राज्य सरकार इसे लागू करने से नहीं रोक

सकती है सीए से जुड़ी जो भी अपडेट आएगी ल

टॉप आप तक पहुंचाता रहेगा आपके लिए तमाम

जानकारी जुटाई थी मेरी साथी सुप्रिया ने

मैं हूं दिव्यांश समरा आप देखते रहिए दलन

टॉप

Leave a Comment